छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस
0 अनिरुद्ध दुबे
रायपुर अजीब मिजाज़ का शहर है। कई बार होता यह है बड़ी से बड़ी बात किनारे लग
जाती है और छोटी चीज तिल का ताड़ बन जाती है। पिछले दिनों न्यूज चैनलों पर
ब्रेकिंग न्यूज आई कि राजधानी के कबीर नगर इलाके से 13-14 साल का एक लड़का पांच
साल की बच्ची का अपहरण कर ले गया। वहीं अखबारों में सीसी कैमरे से निकली वो फूटेज
छपी, जिसमें लड़का सायकल में बिठाकर बच्ची को ले जा रहा है। उस लड़के के नाम से ऐसी
हैडिंग लगीं मानो वो लड़का कोई बड़ा पेशेवर अपराधी हो। पुलिस जब एक के बाद एक सीसी
कैमरे के फुटेज निकलवाकर उस लड़के के घर तक पहुंची तो कुछ दूसरी ही कहानी सामने
आई। पता चला कि लड़का और बच्ची भाई बहन हैं। दोनों का पिता एक है। मां अलग हैं जो
अलग जगह पर रहती हैं। लड़की की मां ने पुलिस को यही बताया था कि उसकी बच्ची का
अपहरण हो गया है। फिर हर कोई सोच में पड़ गया था कि दिन दहाड़े एक छोटे से लड़के
ने बड़ी घटना को अंजाम कैसे दे दिया। बहरहाल इस मामले के सुलझने के बाद अफवाहें जो
जोर पकड़ी हुई थीं उन पर विराम लगा। अपहरण समझ लिए गए इस मामले पर से पर्दा उठने
में चौबीस घंटे भी नहीं लगे, पर पूर्व में कभी कुछ ऐसे भी वाकये हुए, जिन पर लंबे
समय तक सस्पेंस बना रहा था। बाद में जब सच्चाई सामने आई तो सब कुछ काफी चौंकाने
वाला रहा था। रायपुर की एक छात्रा वर्षा दीवान की गायब रहने की खबर करीब दो साल तक
मीडिया में बनी रही। इस मामले में मीडिया लगातार पुलिस व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाते
रहा था। एक दिन ऐसा आया वर्षा अचानक वापस घर लौट आई और सारी आशंकाओं कुशंकाओं पर
विराम लगा। तब लोगों को मालूम हुआ कि वर्षा धर्म और आध्यात्म की तरफ आकृष्ट होकर
किसी आश्रम में रहने चली गई थी। इस बीच उसने घर परिवार तक से कोई संपर्क नहीं रखा
था, जिससे हर कोई यही मानकर चलते रहा कि वर्षा का अपहरण हो गया। इससे अलग हटकर एक और
दिलचस्प किस्सा है। बरसों पहले अखबार के मुख्य पृष्ठ में टॉप पर ‘कलेक्टर का संतरी बना
कलेक्टर’ शीर्षक से एक खबर प्रकाशित हुई। खबर में बताया गया कि दुर्ग जिले के कलेक्टर
के यहां संतरी की ड्यूटी करने वाले रामायण साहू ने आईएएस की परीक्षा पास कर ली है।
यह सही था कि रामायण ने आईएएस की परीक्षा दिलाई थी पर पता नहीं कैसे यह हवा बन गई
कि उसने परीक्षा पास कर ली। अखबार से जुड़े लोगों ने रामायण से संपर्क किया तो उसने
भी स्वीकार किया कि वह पास हो गया है। अखबार वाले उत्साह दिखाते हुए रामायण पर
तत्कालीन दुर्ग कलेक्टर की प्रतिक्रिया लेने से पीछे नहीं रहे। यहां तक कि एक
अखबार का संवाददाता जेल में सजा काट रहे रामायण साहू के पिता से मिलने जा पहुंचा।
यह जानने के लिए कि बेटे के कलेक्टर बन जाने पर वह कैसा महसूस कर रहा है। कुछ
दिनों के बाद अचानक चौंकाने वाला सच सामने आया कि रामायण ने आईएएएस परीक्षा पास ही
नहीं की है। बहरहाल कभी-कभी ऐसी भी चीज सामने आ जाती है, जिस पर लोग सोच कुछ रहे
होते हैं और वह आगे जाकर निकलता कुछ और है।
शेर और महेन्द्र बहादुर
प्रदेश में अब तक इस बात को लेकर सस्पेंस कायम है कि सरायपाली राज परिवार के
92 वर्षीय नेता महेंद्र बहादुर सिंह कांग्रेस के साथ हैं या अजीत जोगी की पार्टी
के साथ। जब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी एवं पूर्व विधायक महेन्द्र बहादुर सिंह एक
साथ मीडिया के सामने आए तो कांग्रेस के भीतर खलबली मच गई। जोगी ने मीडिया के समक्ष
कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ में दो ही ऐसे लोग हैं जिन्होंने शेर का कलेजा खाया है।
मैंने और महेन्द्र बहादुर ने। शेर का कलेजा खाने वाला सौ साल से ज्यादा जीता है।
तभी तो महेंद्र बहादुर इस उम्र में भी इतने फिट हैं। यह भी अपने आप में दिलचस्प है
कि अजीत जोगी के साथ शेर जाने-अंजाने जुड़ता ही रहा है। जोगी ने अपने जीवन से
जुड़े अनुभवों को लेकर ‘स्वर्ण कण जन मेरे प्रेरणा स्रोत’ नाम से किताब लिखी है-
जिसका पहला अध्याय ‘भैरा बैगा’ है। इस अध्याय की कुछ लाइनें शेर पर हैं। इस
अध्याय में एक ऐसा चित्र भी देखने मिलता है जिसमें जोगी अपने पिता के साथ हैं और
पीछे शिकार किए गए शेर की मृत देह पड़ी हुई है। 2013 के विधानसभा चुनाव के समय
अखबारों में छपा एक विज्ञापन काफी चर्चा में रहा था। उस विज्ञापन में जोगी के बने
स्कैच के नीचे लिखा था कि मैं छत्तीसगढ़ का शेर हूं। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री
डॉ. रमन सिंह के स्कैच के नीचे लिखा था मैं छत्तीसगढ़ का सेवक हूं। राजनीति की
गहरी समझ रखने वालों का मानना है कि इस विज्ञापन का जनमानस पर गहरा असर पड़ा। उस
चुनाव के बाद भाजपा जब तीसरी बार सत्ता में आई तो ज्यादातर लोगों ने चुटकी लेते
हुए यही कहा था, शेर अपनी जगह पर ही बैठे रहा और सेवक बाजी मार ले गया।
डॉ. देवांगन को चैन नहीं
बिरगांव नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश देवांगन का दस हजार लोगों
की भीड़ के बीच पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस
में प्रवेश करना अपने आप में बड़ी राजनीतिक खबर रही। बिरगांव अब नगर निगम बन गया
है। इसके पहले करीब बारह साल नगर पालिका था। डॉ. देवांगन दो बार बिरगांव पालिका
अध्यक्ष रहे। दोनों कार्यकाल में वे काफी सुर्खियों में रहे। उनके कार्यकाल में
पालिका में भारी राजनीतिक उठापटक होती रही थी। एक बार जोरदार नाटकीय घटनाक्रम
सामने आया। प्रदेश की भाजपा सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे वालों को दो रुपये किलो
चावल देने की घोषणा की। वहीं डॉ. देवांगन की तरफ से ऐलान हुआ कि हमारी पालिका
गरीबों को एक रुपये किलो चावल देगी। इस अजीबोगरीब फैसले से प्रदेश सरकार को हरकत
में आना पड़ा। डॉ. देवांगन सरकार पर गरीबों का हक मारने का आरोप लगाते हुए लाव
लश्कर के साथ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निवास का घेराव करने निकल पड़े थे,
जिसमें उनकी गिरफ्तारी हुई। इसके बाद ऐसा सरकारी शिकंजा कसा कि आर्थिक अनियमितता
के आरोप में देवांगन को जेल तक जाना पड़ा। बिरगांव जब पालिका से निगम बना तो डॉ.
देवांगन कांग्रेस की टिकट पर अपनी भतीजा बहू को महापौर चुनाव लड़वाने से पीछे नहीं
रहे। बहू को हार का सामना करना पड़ा। बिरगांव क्षेत्र में अब राजनीतिक फिज़ा काफी
बदल चुकी है। डॉ. देवांगन कांग्रेस छोड़ जोगी की पार्टी का दामन थाम चुके हैं।
माना जा रहा है डॉ. देवांगन और उनकी मंडली ने रायपुर ग्रामीण के कांग्रेस विधायक
सत्यनारायण शर्मा को टारगेट में रखा है। निश्चित रूप से सन् 2018 के विधानसभा
चुनाव में शर्मा के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी।
कौन सा गुनाह कर दिया दीमक ने
खबर यह कि महासमुन्द कलेक्टोरेट के किसी कमरे में रखी पूर्व प्रधानमंत्री
लालकृष्ण अडवानी की आत्मकथा ‘मेरा देश’ को दीमक खा गई। बताते हैं
करीब आठ साल पहले सैकड़ों की संख्या में यह किताब मंगाई गई थी। किताबें जस की तस
पड़ी रहीं। खोलकर देखने की फुरसत किसी के पास नहीं थी। प्रदेश में आलम यह है कि
किसी के हिस्से में दूध-दही है तो कहीं पर दो पैर वाले गधे डटकर खीर खा रहे हैं। मेवा
मिष्ठान खाने से फुरसत मिले तब तो अडवानी जैसे महापुरुष को पढ़ने का समय निकले। जब
गधों के हिस्से में खीर आ सकती है तो दीमकों ने पुस्तकों को चाटकर कौन सा बड़ा
गुनाह कर दिया।
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