गुरुवार, 8 सितंबर 2016

छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस

अनिरुद्ध दुबे

राजधानी रायपुर में एक होम्योपैथी डॉक्टर अनिरुद्ध चटर्जी की गिरफ्तारी इन दिनों सुर्खियों में है। वह अपने बंगले के तीसरे माले में हथियारों को मॉडिफाई करता था, रिपेयरिंग करता था। उसकी इस गुप्त मॉडिफाई फैक्ट्री में बंदूक के अलावा और भी तरह-तरह के हथियार मिले। राजनीतिक व प्रशासनिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि नेताओं से लेकर पुलिस विभाग के लोग अनिरुद्ध के पास हथियार मॉडिफाई कराने आते थे। पुलिस उससे लगातार पूछताछ कर रही है। हो सकता है आगे कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आएं। बहरहाल अनिरुद्ध के पड़ोसी से लेकर उसके पेशेन्ट और शहर में और भी उसे जानने वाले बहुत से लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि वो ये सब काम कैसे कर सकता है। अनिरुद्ध के गुरू डॉ. बी.सी. गुप्ता स्वयं शहर के जाने माने होम्योपैथी चिकित्सक हैं, जिनकी अपने शिष्य के बारे में यही राय है कि वह एक नेक बंदा है। गलत शौक ने उसे आज ज़िंदगी की इस राह में ला खड़ा किया है। रायपुर शहर से कई ऐसे डॉक्टर निकल चुके हैं, जिनकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी। ज्यादा दिन नहीं हुए, जासूसी उपन्यास के जाने-माने लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक एक कार्यक्रम में शिरकत करने रायपुर आए हुए थे। उन्होंने श्रोताओं के बीच खुले मन से कहा कि मुझे इस बात को कहने में कोई संकोच नहीं कि आज मैं यहां रायपुर के डॉक्टर जावेद अली के कारण जिंदा खड़ा हूं। उन्होंने ही मेरी हार्ट की सर्जरी कर जान बचाई थी। आज भी उन्हें फोन लगाकर डॉक्टरी सलाह लेते रहता हूं। चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष योगदान के कारण रायपुर के जाने-माने डॉक्टर अरुण दाबके को पद्मश्री मिली। इस तरह रायपुर के चिकित्सा जगत का और भी बहुत सा उजला पक्ष सामने आते रहा है, पर कभी कुछ ऐसा भी हुआ कि डॉक्टरी के पेशे से जुड़े लोग कानून के शिकंजे में जा फंसे। बरसों पुरानी बात है जब रायपुर में जाली नोट कांड का बड़ा मामला उजागर हुआ था, जो कि देश भर में सुर्खियों में रहा था। उस कांड में शहर के कुछ बड़े नामी-गिरामी लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, जिसमें दांत का डॉक्टर माकोहब केन भी था। चाइना मूल के इस डॉक्टर की रायपुर में डिस्पेंसरी होती थी और उसकी पहचान मिलनसार व्यक्ति के रूप में थी। डॉ. केन जाली नोट कांड में ऐसा फंसा कि उसके कई साल जेल में गुजरे। रायपुर के एक सघन मोहल्ले में एक डॉक्टर हुआ करता था, जिसकी कई बार नशीला पदार्थ जिंजर बेचने के कारण गिरफ्तारी हुई। जिस रायपुर शहर से चिकित्सा के क्षेत्र में कई नगीने निकले तो कुछ ऐसे डॉक्टर भी हुए जो जाने-अंजाने या कह लें शौक के कारण अपराध की दुनिया के दलदल में जा धंसे।


आतंकवाद पर श्री श्री रविशंकर की चिंता
इस खबर ने कितने ही लोगों का ध्यान खींचा कि हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादी बुरहान वानी के पिता मुजफ्फर वानी दो दिन आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के बेंगलुरु आश्रम में रहे। श्री श्री रविशंकर ने ट्विटर पर अपनी और बुरहान के पिता की तस्वीर पोस्ट की और लिखा कि हमने दो दिन कई मसलों पर बातचीत की। दूसरी तरफ मुजफ्फर वानी ने कहा कि मैं किसी बीमारी का इलाज कराने श्री श्री के आश्रम रहा। श्री श्री रविशंकर के व्यक्तित्व का एक ये भी पहलू सामने आते रहा है कि वे देश से जुड़े आतंकी मसलों पर बातचीत करने की पहल ज़रूर करते रहे हैं। कुछ वर्षों पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने श्री श्री रविशंकर से पूछा था कि यदि धर्म एवं आध्यात्म क्षेत्र से जुड़े गुरुजन नक्सलियों से बात करें तो क्या समस्या का समाधान निकल सकता है। श्री श्री रविशंकर ने मुख्यमंत्री से कहा था कि यदि नक्सलियों से बातचीत की स्थित बनती है तो इसके लिए वे तैयार रहेंगे। यही नहीं रायपुर में हुए आर्ट ऑफ लिविंग के एक कार्यक्रम में मंच से श्री श्री ने कहा था कि नक्सली हमसे अलग नहीं हैं। हमारे ही भाई बंधु हैं। यदि कोई भटक जाए तो सहानुभति रखते हुए उसे सही रास्ते पर लाया जा सकता है। देश में जो मौजूदा गंभीर हालात हैं उन पर श्री श्री की तरह और भी धर्म तथा आध्यात्म गुरु अपनी राय देते चलें तो हो सकता है कि उसका कहीं ना कहीं असर पड़ते दिखे।


गागड़ा को नक्सली धमकी
छत्तीसगढ़ के वन मंत्री महेश गागड़ा को जान से मारने एक बड़े नक्सली नेता की ओर से पत्र जारी हुआ है, जिसकी चर्चा धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर से लेकर रायपुर तक में है। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार गागड़ा की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंतिंत है। दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने निशाना साधते हुए कहा है कि गागड़ा इस धमकी का हवाला देकर अपनी टीआरपी बढ़ा रहे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें अतिरिक्त सूरक्षा मिले और बस्तर जैसे आदिवासी इलाके जहां से वे हैं वहां के लोगों से उनकी दूरी बनी रहे। वहीं जवाब में गागड़ा ने बघेल पर सवाल दागा है कि मुझे मंत्री बनने के बाद से जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है, इससे और बड़ी कोई सुरक्षा मांगी जा सकती है क्या? बहरहाल सच्चाई तो यही है कि गागड़ा जिस बीजापुर क्षेत्र से चुनकर आते हैं वह धुर नक्सली इलाका है। भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में वे न सिर्फ विधायक बल्कि संसदीय सचिव भी थे। तब भी उन पर नक्सली हमले का भारी खतरा मंडराया रहता था। यहां तक की उस समय उन्हें शासन एवं प्रशासन की तरफ से कहा भी गया था कि अपने क्षेत्र में ज्यादा समय न रहा करें। कभी भी हमला हो सकता है। नक्सलवाद से व्यथित गागड़ा ने कुछ साल पहले राजधानी रायपुर में हुए एक कार्यक्रम में मंच से कहा था कि इस भूलावे में न रहें कि नक्सलवाद बस्तर तक ही सीमित है। वह शहर तक पहुंच गया है। इन दिनों जिस तरह यह खबर हवा में तैर रही है कि रायपुर के एक बड़े अस्पताल में नक्सली इलाज कराने आते रहे हैं, उससे गागड़ा की बात को बल मिलता है।


रायपुर को भी हनी सिंग की ज़रूरत
देश के एक प्रतिष्ठित अखबार में पिछले दिनों यह खबर पढ़ने में आई कि नैनीताल के धारी गांव में किसान जंगली सुअरों से अपनी फसल को बचाने के लिए खेतों में लाउड स्पीकर से हनी सिंग के गाने बजवा रहे हैं। इसका उन्हें फायदा भी मिला है। सुअरों ने खेतों से दूरी बना ली है। राजधानी रायपुर में बरसों से कुत्तों का आतंक तो रहा ही है और अब सुअर भी बढ़ गए हैं। रायपुर के बहुत से जागरुक नागरिक अब मजाकिया लहजे में कहते नज़र आ रहे हैं कि क्यों ना हनी सिंग के गानों वाला फार्मूला यहां भी आजमाया जाए। हो सकता है यहां भी हनी सिंग को सुनकर कुत्ते और सुअर इधर उधर भागते नज़र आएं।


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