बुधवार, 22 अप्रैल 2015

सेना बस्तर जाएगी, तभी होगा नक्सली समस्या का सफाया

अनिरुद्ध दुबे

छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि आज की तारीख में मुझे लगता है कि जब तक सेना बस्तर जाकर खुद मोर्चा न सम्हाले वहां नक्सली समस्या का सफाया नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह  नक्सलियों के लीडर से बातचीत तक के लिए राजी रहे, लेकिन वे शस्त्र छोडऩे के लिए तैयार ही नहीं हैं। शस्त्र छोड़े बिना समस्या का निदान नहीं हो सकता।  हाल ही में धरमालाल कौशिक से विभिन्न बिन्दुओं पर लम्बी बातचीत की, जिसके मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं-

0 हाल ही में बस्तर में नक्सलियों ने लगातार तीन दिनों तक प्राणघातक हमला बोला। हमारे जवान शहीद भी हुए। नक्सली समस्या के खिलाफ सरकार की बार-बार विफलता क्यों नजर आती है?
00 बस्तर में नक्सलवाद नासूर बन चुका है। नक्सली हमले में कांग्रेस-भाजपा दोनों तरफ के नेता मारे गए। नक्सली समस्या से लड़ते-लड़ते कितने ही धन की बरबादी हो चुकी है। प्रदेश की भाजपा सरकार चाहती है कि बस्तर नक्सलवाद से मुक्त हो और वहां अधिक से अधिक विकास हो सके। लेकिन यह तभी संभव है जब नक्सलियों के हाथ से शस्त्र छूटे।

0 पूर्व थल सेना अध्यक्ष एवं वर्तमान केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री वी.के. सिंह ने हाल ही में कहा कि तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम एवं छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ननकीराम कंवर चाहते थे कि बस्तर में नक्सलावाद से निपटने सेना भेजी जाए। पर मैंने उनसे यही कहा था कि अपने ही घर के लोगों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता...
00 मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह लगातार नक्सलियों से आग्रह करते रहे हैं कि वे शस्त्र छोड़ें और बातचीत का रास्ता अपनाएं पर वे मानने को तैयार नहीं। यदि नक्सली अपने ही लोग हैं तो वे मुख्य धारा में क्यों नहीं लौट रहे। अपने हैं तो अपने ही लोगों को क्यों मार रहे हैं। बस्तर में हालात बद से बद्तर हो चुके हैं। वहां जब तक सेना नहीं भेजी जाती, जान माल की सूरक्षा संभव नहीं है।  

0 बहुचर्चित नॉन घोटाले को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ी। अभी भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है...
00 नॉन में भारी गड़बड़ी होने की शिकायत मिलती ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने उसे गंभीरता से लिया और एक साथ नॉन के कई दफ्तरों में छापे की कार्रवाई हुई। कांग्रेस ने तो बाद में इसे मुद्दा बनाया। मुख्यमंत्री शुरू से यह कहते रहे हैं कि किसी भी घोटाले में कोई बड़ा से बड़ा व्यक्ति क्यों ना लिप्त हो उसे बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री का जीरो टॉलरेंस पर पूरा जोर है। वे चाहते हैं कि भ्रष्टाचार पूरी तरह समाप्त हो।

0 डॉ. रमन सिंह की सरकार अपनी तीसरी पारी शुरू होने के साथ ही घिरती नजर आई है। तीसरी पारी को लेकर आपका अपना नजरिया क्या है?
00 मानता हूं कि पहली और दूसरी की तुलना में तीसरी पारी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। लेकिन सत्ता मिलने के बाद दस सालों में भाजपा ने प्रदेश हित में जो कई काम किए उसे कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है। सन् 2000 में जब राज्य बना छत्तीसगढ़ की पहचान गरीब राज्य के रुप में थी। बेरोजगारी थी। पलायन होता था। दस साल में भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य की शक्ल दी। पलायन रूका। स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सड़क पर खूब काम हुए। सरकार ने गरीबों और किसानों की चिंता की। रही तीसरी पारी की बात तो सरकार से लोगों की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। विभिन्न क्षेत्रों में कई अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने की चुनौती है। इस समय आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियां बदली नजर आ रही हैं। सबसे बड़ी चुनौती नक्सलवाद है।

0 आपने कहा कि सरकार ने किसानों की चिंता की पर कांग्रेस किसानों 2100 रुपये समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के वादे को पूरा नहीं करने और उन्हें 300 रुपये बोनस नहीं देने के मुद्दे को लेकर आंदोलन जारी रखे हुए है...
00 ये नहीं कहा जा सकता कि किसान असंतुष्ट हैं। उनसे दस क्विंटल की जगह 15 क्विंटल धान खरीदने का निर्णय लिया गया है। जहां तक समर्थन मूल्य की बात है तो सपोर्ट प्राइज केन्द्र सरकार तय करती है। प्रदेश सरकार तो उसका केवल पालन करती है। रही 300 रुपये बोनस की बात तो सरकार पांच साल के लिए होती है। परिस्थितयां ठीक होते ही बोनस पर विचार करने के साथ उस पर क्रियान्वयन भी हो सकता है।

0 भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में आप विधानसभा अध्यक्ष रहे और अब की बार आपको प्रदेश अध्यक्ष के नाते संगठन में काम करने का मौका मिला है। कैसा महसूस कर रहे हैं? 
00 विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक प्रक्रिया के दायरे में होता है। विधानसभा अध्यक्ष को पक्ष एवं विपक्ष दोनों के बीच समन्वय बिठाकर चलना होता है। उस पद का अपना एक अलग आनंद है। रही बात पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की तो यहां पर कार्यकर्ताओं से जीवंत समपर्क बनाए रखना जरूरी है। अध्यक्ष को यह ध्यान रखना होता है कि उसकी पार्टी की सरकार ठीक से चले और जनता के बीच सरकार की पैठ हो।

0 पूर्व में जब जे.पी.नड्डा छत्तीसगढ़ राज्य में आपकी पार्टी के प्रभारी बनकर आए थे तब उन्होंने कहा था कि भाजपा में संगठन मुख्यमंत्री से बड़ा होता है...
00 प्रश्न यह नहीं कि कौन बड़ा है, जरूरी यह है कि संगठन और सरकार की सोच आपस में मेल खाए। यह संगठन के देखने काम होता है कि उसकी पार्टी की सरकार जनता के विश्वास पर पूरी तरह खरी उतर पा रही है या नहीं। आखिर जिताकर तो जनता ने लाया है।

0 तीसरी बार भाजपा की सरकार आई तो तीन मंत्रियों की जगह खाली रखी गई। क्या ऐसा नहीं लगता तो कि पहले ही तीन मंत्री बना दिए जाते तो दूसरों का वर्क लोड कम होता? अब मंत्री मंडल के विस्तार की बात हो रही है, क्या प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते आपसे सूझाव लिए गए हैं?
00 किसी भी राज्य पर नजर दौड़ा लें एक साथ पूरे मंत्री कहीं भी नहीं बनाए जाते। जल्द न सिर्फ मंत्री मंडल का विस्तार होना है, बल्कि संसदीय सचिव भी बनाए जाने हैं और निगम मंडलों में भी नियुक्तियों का सिलसिला शुरू होने वाला है। रही बात है मेरे सूझाव कि तो मंत्री पद के लिए अपनी तरफ से मैंने नाम दे दिया है।

0 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल लगातार सवाल उठा रहे हैं कि लोक सुराज अभियान में मुख्यमंत्री नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र का सड़क मार्ग से दौरा क्यों नहीं करते...
 00 पूरे प्रदेश में लोक सुराज अभियान चलना है। सरगुजा से बस्तर तक। मैं नहीं समझता कि सड़क मार्ग से इस अभियान को चलाना व्यावहारिक होगा। इस अभियान में कई-कई स्थानों पर जाकर न सिर्फ ग्रामीणों के दुख दर्द को सुनना होता है बल्कि स्थल पर ही उनकी स्मस्याओं का निराकरण करना होता है और कई सारे काम स्वीकृत करने होते हैं। भूपेश बघेल शायद भूल रहे हैं कि बस्तर में लगातार तीन दिनों तक हुए नक्सली हमले की परवाह नहीं करते हुए मुख्यमंत्री ने अपना राजनांदगांंव एवं कवर्धा का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम छोड़कर बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से लोक सुराज की शुरुआत की। वे बीजापुर एवं छोटेडोंगर जैसे स्थानों पर गए। नारायणपुर के भी कई स्थानों पर उनका जाना हुआ। उन्होंने एक रात  बस्तर में ही गुजारी।

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