रविवार, 14 अगस्त 2016

छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस

0 अनिरुद्ध दुबे

राजधानी रायपुर में फर्जी आईबी अफसर जो पकड़ा गया उस पर चर्चा का दौर अभी थमा नहीं है। इस नकली आईबी अफसर के पुलिस गिरफ्त में आने की खबर सबसे पहले सोशल मीडिया में चली। सोशल मीडिया में यही चलते रहा  कि पकड़ा गया फर्जी आईबी अफसर खुद को मुख्य सचिव विवेक ढांढ का रिश्तेदार बता रहा है। धीरे-धीरे उसकी बहुत सी कहानियां सामने आती चली गईं। छत्तीसगढ़ सरकार के कुछ मंत्रियों के साथ वह फोटो खिंचवा रखा था। नेताओं की नज़रों में खुद को चढ़ाए रखने वह चम्पारण्य में हुए भाजपा के चिंतन शिविर तक में पहुंच गया था। वह कई-कई दिनों तक रायपुर की होटलों में टिके रहता था। फर्जी परिचय पत्र के आधार पर सर्किट हाउस में ठहरा। मंत्रियों के साथ सेल्फी लेना उसका शौक था। उसकी सगाई की पार्टी भी चर्चा में है। इसके अलावा उसकी और भी कहानियां सामने आ रही हैं। हावड़ा का रहने वाला यह युवक रायपुर में कैसे धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमाते चला गया और इसके पीछे कौन लोग हैं पुलिस इसका पता लगाने में जुटी है। बड़े ठगों और जालसाजों से पहले भी रायपुर शहर का पाला पड़ते रहा है। बरसों पहले शहर में श्रीराम सोनी नाम के जालसाज की चर्चा खूब हुआ करती थी। बताते हैं वह कुछ समय तक रायपुर जेल में बंद रहा था। जाली सिग्नेचर में उसकी मास्टरी थी। यहां तक की पुलिस से बचने लिए उसको कार का नंबर तक बदलने में देर नहीं लगती थी। श्रीराम सोनी व्दारा इस्तेमाल की जाने वाली कार काफी समय तक पुलिस लाइन में लोगों के आकर्षण का केन्द्र रही थी। उस कार की नंबर प्लेट पर अलग-अलग नंबर साफ दिख जाया करता था। रुपये को डॉलर में बदलने का झांसा देने वाले नाइजीरिया के ठग किसी समय रायपुर तक पहुंच गए थे और पुलिस के हाथों पकड़े गए थे। मानो ठगों और जालसाजों के लिए रायपुर शहर की जमीन हमेशा से उर्वरा रही हो।

राजधानी और आवारा कुत्ते
राजधानी रायपुर में 9 अगस्त की वह शाम भयावह थी। एक आवारा कुत्ता अचानक खूंखार हो गया और दौड़ा-दौड़ाकर 24 लोगों को काट खाया। बच्चे से लेकर बूढ़े तक उस आवारा कुत्ते के पागलपन के शिकार हुए। इस घटना ने पूरे शहर को सोचने पर मजबूर कर दिया है। रायपुर शहर की पहचान मच्छरों के कारण काफी पहले से होती रही है। अब आवारा कुत्तों के कारण भी होने लगी है। राजधानी ऐसा कोई इलाका नहीं बचा होगा जहां आवारा कुत्तों की भीड़ न हो। रायपुर नगर निगम कोई आज नहीं पिछले करीब चौदह सालों से आवारा कुत्तों की नसबंदी का राग अलाप रहा है। सच्चाई यह है कि पिछले करीब पांच सालों में राजधानी में करीब साढ़े पांच हजार कुत्तों की ही नसबंदी हुई है, जिसे संतोषप्रद नहीं माना जा रहा। नगर निगम रायपुर शहर को आवारा कुत्तों से मुक्ति दिलाने एक और उपाय किया था। इनकी धरपकड़ कर शहर से बहुत दूर छोड़ आने का। यह उपाय ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हुआ। उल्टे विधानसभा तक में इस उपाय की आलोचना हुई। महासमुन्द के विधायक डॉ. विमल चोपड़ा ने विधानसभा में कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि रायपुर शहर के आवारा कुत्तों को मेरे विधानसभा क्षेत्र में ले जाकर छोड़ा जा रहा है, जिस पर गहरी आपत्ति है। बहरहाल अवारा कुत्तों ने रायपुर के लोगों का चैन से जीना हराम कर रखा है।

चाचा-भतीजे के बीच ये कैसी दरार
राजनीति ऐसा क्षेत्र है जहां छोटी-छोटी बातें भी बड़ी लगने लगती हैं। ताजा उदाहरण खल्लारी के पूर्व विधायक
परेश बागबाहरा एवं उनके भतीजे अंकित बागबाहरा का है। परेश कांग्रेस छोड़ पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी से जुड़ गए हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) के सदस्यता अभियान प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दूसरी तरफ उनके सबसे चहेते भतीजे अंकित बागबाहरा को अचानक बागबाहरा ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष का पद दे दिया गया है। यानी एक ही घर में परस्पर दो विरोधी पार्टी के लोग हो गए हैं। बागबाहरा, महासमुन्द से लेकर रायपुर तक इस बात पर लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है कि चाचा-भतीजे के रास्ते अलग हो सकते हैं। चाचा भतीजे के बीच कितना गहरा प्रेम रहा है, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि परेश ने अंकित को लेकर भोला छत्तीसगढ़िहा नाम से छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाई थी। इस फिल्म में खुद परेश ने रोल किया था। रील लाइफ में एक दूसरे के इतने करीब दिखने वाले चाचा-भतीजे रियल लाइफ में कैसे एक दूसरे से इतने दूर नज़र आ रहे हैं, इसे लोग अपने-अपने ढंग से समझने की कोशिश कर रहे हैं।

इच्छाधारी नाग से शादी की इच्छा
छत्तीसगढ़ प्रदेश में अजीबोगरीब घटनाएं होना आम बात है। भैयाथान जनपद के ग्राम कसकेला में अनिता नाम की युवती ने घोषणा की थी कि वह इच्छाधारी नाग से विवाह रचाने जा रही है। वह नाग के साथ नाग लोक जाएगी। नाग पंचमी वाले दिन इस भीड़-भाड़ को देखने करीब दस हजार लोग जमा हो गए थे। किसी तरह का चमत्कार नहीं हुआ। अब वह युवती अपनी पढ़ाई में ध्यान देना चाह रही है। प्रदेश में अंधविश्वास फैलाने वाली घटनाओं की कभी कमी नहीं रही। कितने ही उदाहरण सामने आ चुके हैं जब टोनही के शक पर किसी के साथ गाली गलौच से लेकर मारपीट तक के प्रकरण दर्ज होते रहे हैं। भगवान दिखाने के नाम पर लूट जब तब होती रही है।   


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